

Autism या ASD एक ऐसा word है जो बहुत कम लोगो ने सुना होगा। यह word उन सब parents के लिए एक word होता है जिनका बच्चा उस से जूझ रहा होता है। शुरू-शुरू में parents बहुत डर जाते है जो कि बिल्कुल nature है। क्योंकि India में इसमे ज़्यादा awareness नहीं है। तो हम आपको आज बिल्कुल सरल भाषा में ASD या AUTISM के बारे में बताये। ऑटिजम या ASD जिसको autism spectrum disorder भी कह सकते है । यह एक तरह की दिमाग बिमारी है जिसमे बच्चा न तो अपनो बात दूसरो को समझा पाता है। यह एक development disability होता है। Autism का पता जन्म के समय नहीं पता चलता है। जैसे-जैसे बच्चे की age बड़ती है। इसके symptoms दिखने लग जाते है। बच्चा अपने नाम पर response नहीं करता। किसी से नजरे नही मिला पाता physically activities भी कम करता है किसी को देख कर smile नही करेगा, ब-ब-ब (Babbles) नही करेगा ऐसे ही और कई और symptoms भी होते है जो की एक normal बच्चे मे नही देखे जा सकते हर autistic child मे अलग अलग तरह के symptoms होते है कोई जरा सी बात पर रोने लग जाता और किसी को बहुत दर्द होने पर भी कुछ फर्क नही पड़ता ऐसे मे आपको doctor की सलाह लेनी चाहिए और अगर doctor आपको therapy के लिए कहता है तो जितनी जल्दी हो सके उतनी जल्दी therapy start करवा दें। ASD या autism के उपचार के लिए अलग अलग तरह की therapies को किस हिसाब से करना चाहिए ये आपको एक therapiest आपके बच्चे की assessment करके ही बता सकता है किसी भी medicine या surgery से Autism का इलाज संभव नही है। इसको सिर्फ और सिर्फ therapy की need होती है। Therapies मे ABA (Applied Behaviour Analysis) Verbal Behaviour Therapy, Congnitive Behaviour Therapy. Occupational therapy Speech Therapy शामिल होते है इसके साथ साथ आपके बच्चे की physically therapy भी होती है। अब बात आती है therapy centre की तो आपको बता दें कि यह बात depend करती है आपके बच्चे के future पर तो आपको जहाँ एक ही छत्त के नीचे यह सारी therapies मिले जहाँ पर आपको ASD के बारे मे पूरी जनकारी मिले वही पर अपने बच्चे की therapy करवाएं।
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