
आज के समय में Autism आटिज्म इतना बढ़ गया है जिसका इ...

आज के समय में Autism आटिज्म इतना बढ़ गया है जिसका इलाज सिर्फ थेरेपी Therapy से ही किया जा सकता हैं। जिन बच्चो को आटिज्म होता है उन्हें बोलने और समझने में दिक्कत होती हैं। HOPE THERAPY CENTER में प्रैक्टिकल Practical sessions के साथ बच्चे को बोलने, समझने और व्यव्हार से सम्बन्धित जो परेशानी होती है उसे ठीक किया जाता है। आजकल ज्यादातर माता-पिता काम करते हैं और जब घर आने के बाद समय होता है तो उन्हें आराम की जरुरत होती है पर वे ऐसा भूल जाते हैं की अगर उनके घर में बच्चा है तो काम के साथ बच्चे को भी समय देना जरूरी है। आजकल हर किसी के पास मोबाइल फ़ोन हैं और यहाँ तक की बच्चों के पास भी मोबाइल फोन हैं। बच्चों में आटिज्म बढ़ने का मुख्य कारण मोबाइल फ़ोन है क्यूंकि मोबाइल फ़ोन एक ऐसा साधन है जो खाली समय में आपका साथी बन सकता हैं पर बच्चों को मोबाइल फोन देना आपको भारी पड़ सकता हैं। जब बच्चा मोबाइल फ़ोन की जिद्द करना लगता है । तो उस समय हम अपने बच्चे की शिकायत करते है की हमारा बच्चा मोबाइल फ़ोन बहुत चलाता है और जब आप अपने बच्चे को मोबाइल फ़ोन नहीं देते तो वो बच्चा आपको कुछ नहीं समझता, चीखने-चिल्लाने लगता हैं और आपके लिए गलत सोच आ जाती हैं। ये ही वजह है की बच्चा अपनी दुनिआ में रहने लगता है और आटिज्म की दुनिया में चले जाता हैं। आप ये नहीं देखते है बच्चे को बिगाडने वाले माँ-पिता ही होते हैं। माँ-पिता को बच्चे के साथ समय निकलने की बजाय फ़ोन पकड़ा देते है ताकि बच्चा उन्हें परेशान न करे। पर ऐसा करने की बजाय आप बच्चे को बुक्स दे सकती है और एक टारगेट लक्ष्य तय कर सकती है की ये बुक पढ़ने के बाद आप उनके लिए कोई favorite खाने की चीज़ बना सकती है या घूमने लेके जा सकते हैं। मोबाइल फोन का असर सबसे ज्यादा दिमाग पर होता है। बच्चों के दिमाग की नसें वैसे हे कोमल होती है और जैसा वो मोबाइल फोन पर देखंगे वो वैसा हे अपनी जिंदगी में अपनाते जायँगे और कल्पना की दुनिया में रहेंगे। हम सभी जानते है की मोबाइल फ़ोन में ज्यादातर जो कंटेंट पड़ते है या देखते है वो अक्सर काल्पनिक ही होता है और अगर बच्चे ये सब देखंगे तो इसका सही असर नहीं होगा। मोबाइल देखने से ये होगा की बच्चा न तो खेलना-कूदना सीखेगा और एक हे जगह पर टिक्का रहेगा जिस से बच्चा का दुसरो से घुलना-मिलना कम हो जायेगा और दोस्त भी कम बनाएगा। एक ही जगह पर टिकने और रहने की वजह से बच्चे का शरीर कमज़ोर हो सकता है। तो बेहतर ये होगा की बच्चों को फ़ोन की लत्त लगाने की बजाय किताबे पढ़ना सिखाये। कैसे बुक्स पढ़ना सिखाये ? 1. सबसे पहले तो बच्चों के मन में रुचि जगाये की ये बुक में ऐसी इंटरस्टिंग स्टोरी या नॉलेज हैं। 2. अगर आपका बच्चा ज्यादा छोटा है तो खुद भी इंटरस्टिंग बुक्स पड़े और उसे पढ़ के सुनाये। 3. आजकल बच्चों के लिए सूंदर सूंदर बुक्स मिलती है या कॉमिक बुक्स भी मिलती हैं। 4. अगर बच्चा थोड़ा बड़ा है तो उसके लिए छोटे छोटी स्टोरीज बुक्स लाये। 5. बच्चे के लिए एक लक्ष्य target तय रखे की बुक book पूरी पढ़ने के बाद कुछ मनपसंद चीज़ मिलेगी। 6. भगवान की बुक्स भावनातमक सोच emotional health के लिए बहुत अच्छी होती है। 7. बच्चों के सामने मोबाइल फ़ोन का इस्तेमाल कम करे और कोई ऐसा काम करे जिस से बच्चे देख के सीखे। 8. शब्द बोलना सीख जाता है और बोलने की समस्या दूर हो जाती हैं। 9. जो बच्चा शब्द देखेगा और पढ़ेगा वही उसके दिमाग में जायेगा जिस वजह से बच्चा पढ़ाई में ठीक रहता हैं।
Subscribe for latest offers & updates
We hate spam too.
